
सोनीपत में महापंचायत के लिए जुटे किसान।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी।
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हरियाणा के सानीपत के खरखौदा में कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे के पैरलल आर्बिटल रेल कॉरिडोर को लेकर सरकार की तरफ से किए गए जमीन अधिग्रहण में कम मुआवजा मिलने के विरोध में पिपली टोल प्लाजा पर रविवार को खरखौदा क्षेत्र के 18 गांवों के किसानों ने महापंचायत का आयोजन किया।
इसमें स्थानीय किसान नेताओं के साथ ही पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु सहित कई अन्य राज्यों के किसान नेता पहुंचे। किसान नेताओं ने कहा कि यह अकेले हरियाणा का नहीं बल्कि पूरे देश का मामला है। किसान 14 फरवरी को प्रदेशभर में सरकार के पुतले फूकेंगे और 19 फरवरी को फिर पंचायत करेंगे।
किसान आंदोलन को तेज करेंगे और हरियाणा पंजाब के किसान मिलकर इस लड़ाई को लड़ेंगे। किसान मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर 21 दिन से धरने पर बैठे हैं, लेकिन सरकार किसानों की मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही।
किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा अराजनैतिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि कारपोरेट जगत सभी को मजदूर बनाना चाहता है। इसलिए अपनी जमीन का मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग न करें। फैसला यह लें कि किसी भी कीमत पर अपनी जमीन को बिकने नहीं दिया जाएगा।
हमारी जमीन को छीनने का एक षड्यंत्र रचा जा चुका है, उसे किसान समझें और इसके खिलाफ खड़ा होने का फैसला लें। उन्होंने कहा कि ऐसा कानून बनाया गया है कि हम अपनी जमीन को बिकने से बचाने के लिए न्यायालय तक में नहीं जा सकते, सिर्फ मुआवजा बढ़ाने की गुहार क्लेक्टर के पास लगा सकते हैं।
इसलिए जो जमीन हमें हमारे पूर्वजों ने दी है, उसे सहेजकर रखते हुए अपनी आने वाली पीढि़यों को सौंपने का काम करें, इसके लिए यह फैसला लिया जाना जरूरी है कि हम अपनी जमीन को बिकने नहीं देंगे। बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि अगर उनके बीच के ही कुछ लोग राजनीति न करते तो दिल्ली के बॉर्डर पर 13 माह चले आंदोलन के बाद उन्हें फिर किसी आंदोलन को करने की जरूरत नहीं पड़ती। सरकार तीन काले कानून ही वापस नहीं लेती बल्कि लखीमपुर के मामले के साथ ही एमएसपी की उनकी मांग पूरी हो जाने के साथ ही किसानों पर दर्ज हुए मुकदमे भी वापस हो गए होते।
केएमपी को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिए जाने की मांग
किसान महापंचायत में जहां केएमपी को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई गई। वहीं उसके आधार पर क्लेक्टर रेट तय कर उसका चार गुणा मुआवजा भी मांगा गया। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों की जमीन की दलाली खाने का काम कर रही है। किसानों की जमीन के रेट का 99.99 फीसदी हिस्से को सरकार अपने जेब में डालने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि केएमपी बनने के बाद 2018 में टोल कंपनियों को हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग की दर पर टोल वसूलने को कहा था, जिसका सबूत उनके पास है। जब किसान को पैसे देने की बात आई तो केएमपी को राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं माना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ग्लोबल काॅरिडोर बनाने जा रही है, अगले दो से तीन वर्ष में खरखौदा क्षेत्र के साथ ही दो अन्य तहसीलों की 52 हजार हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की जाएगी। वहीं हिसार में भी 100 गांवों की जमीन का अधिगृहण होना है, जल्द ही हरियाणा सरकार के भूमि बैंक कानून के तहत यह प्रक्रिया अंजाम दी जाएगी।
इसमें किसानों से 50-60 लाख में प्रति एकड़ जमीन को खरीदकर पांच से दस करोड़ में बेचा जाएगा। यह एक क्षेत्र की नहीं बल्कि प्रदेश और देश का मामला है। भारत माला परियोजना के तहत किसान से उसकी जमीन हथियाने का यह एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है।
इस अवसर पर जरनैल सिंह चहल, लखविंदर सिंह सिरसा, कर्नाटक से क़ुर्बरु शांताकुमार, तमिलनाडु से पी सेंटिलकुमार, खरखौदा अनाज मंडी प्रधान नरेश दहिया, धर्मबीर दहिया, देवेंद्र दहिया, हंसबीर खरब, वीरेंदर खोखर, रणबीर भुकर, सूबेदार रणवीर मलिक सहित अन्य मौजूद रहे।
महापंचायत में लिये ये निर्णय
- 14 फरवरी को पूरे हरियाणा में किसान भाजपा सरकार के पुतले जलाएंगे।
- भूमि अधिग्रहण का मुद्दा हरियाणा-पंजाब का साझा मुद्दा है, इसलिए हरियाणा-पंजाब के किसान मिलकर लड़ाई लड़ेंगे।
- -8 फरवरी को पिपली टोल चल रहे धरने पर संयुक्त किसान मोर्चे के हरियाणा और पंजाब के नेता एकत्रित होंगे। यहां बैठक कर आगामी रणनीति को तैयार करेंगे।
- 19 फरवरी को पिपली टोल प्लाजा पर ही एक किसान पंचायत का आयोजन जाएगा, जिसमें पहले दिन लिए गए फैसले को सभी किसानों के समक्ष रखते हुए आगामी रणनीति के तहत आगे बढ़ा जाएगा।