उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की ओर से भू-धंसाव के बाद से तमाम निर्माण कार्यों, एनटीपीसी के परियोजना निर्माण कार्यों सहित औली रोपवे के संचालन पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही ड्रेनेज, नालों की लाइनिंग और सीवरेज के कामों को आगे बढ़ाने से फिलहाल रोक दिया गया है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में जोशीमठ में किसी भी योजना में आगे बढ़ना ठीक नहीं होगा।
सरकार ने इस संबंध में काफी विचार मंथन किया है। एक बार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से सभी तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिल जाए, इसके बाद सभी नीतिगत फैसले लेने में आसानी होगी। जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद अलग तरह की परिस्थितियां पैदा हुई हैं, इसलिए हम बहुत सोच समझकर आगे बढ़ रहे हैं, ताकि लोगों को राहत पहुंचाई जा सके।
अनसुलझे सवाल
पुनर्वास और राहत पैकेज कब तकः जोशीमठ में पुनर्वास और राहत पैकेज को लेकर जिला प्रशासन के स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आपदा प्रभावितों को शामिल करते हुए एक कमेटी का गठन किया गया है। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना के अनुसार, कमेटी अपनी प्राथमिक रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करा चुकी है। इसमेें कुछ बिंदुओं पर सहमति बनी है लेकिन कुछ बिंदु विचाराधीन हैं। साथ ही शासन में एसीएस आनंद वर्द्धन की अध्यक्षता में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है। 27 को इस कमेटी की बैठक होनी थी जो किन्हीं कारणों से टल गई थी। अब यह बैठक सोमवार यानि 30 जनवरी को होगी, जिसमें पुनर्वास एवं राहत पैकेज पर फैसला लिया जा सकता है।
क्या होगा दरार वाले भवनों का
आपदा प्रभावित जोशीमठ में 863 भवनों में दरारें हैं। इनमें से 181 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित किया गया है। शुरू में कहा गया कि सभी असुरक्षित भवनों को ध्वस्त किया जाएगा। लेकिन पुनर्वास और राहत पैकेज का एलान नहीं होने पर लोगों के विरोध को देखते हुए सरकार ने इस फैसले से कदम पीछे खींच लिए। इसके बाद अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दरार वाले भवनों को आगे चलकर क्या होगा। शासन-प्रशासन का कहना है कि इस संबंध में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) की रिपोर्ट पर फैसला लिया जाएगा।
प्रभावित कब तक रहेंगे राहत शिविरों में
जोशीमठ में 248 परिवारों के 900 सदस्यों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया गया है। जबकि 41 प्रभावित परिवार रिश्तेदारों या किराये के घरों में रह रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आपदा प्रभावित आखिर कब तक राहत शिविरों में रहेंगे। इस संबंध में जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि प्रभावितों के लिए प्रशासन की ओर से राहत शिविरों में उचित व्यवस्था की गई है। यहां मॉडल प्री फेब्रिकेटेड कॉलोनी भी बनाई जा रही है। यदि प्रभावित चाहेंगे तो उनके लिए प्री फेब्रिकेटेड घर बनाकर दिए जाएंगे, जिसमें वह अपनी मर्जी से शिफ्ट हो सकते हैं। लेकिन यह प्रभावितों की सहमति के आधार पर ही होगा। इसके अलावा जो लोग किराये के भवनों में रह रहे हैं, उन्हें प्रति परिवार पांच हजार रुपये किराया दिया जा रहा है।
जोशीमठ के पुनर्निर्माण पर क्या फैसला लेगी सरकार
30 प्रतिशत प्रभावित जोशीमठ को लेकर सरकार क्या फैसला लेती है, इस सवाल पर सबकी नजरें टिकी हैं। हालांकि यह एक नीतिगत फैसला है, जिस पर सरकार तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे बढ़ेगी। वहीं, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा का कहना है कि जोशीमठ का पुनर्निर्माण किया जाएगा। जोशीमठ धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का नगर है, हम उसे उसके हाल पर नहीं छोड़ सकते। लेकिन पहली प्राथमिकता प्रभावितों के विस्थापन की है। इसके बाद जोशीमठ के पुनर्निर्माण के लिए जो भी बेहतर होगा, वह किया जाएगा।