
अदालत(सांकेतिक)
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हत्या के जुर्म से बरी करने वाले हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। सोलन जिले के परस राम को विचारण अदालत ने हत्या के मामले में दोषी पाया था और उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस निर्णय को परस राम ने हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अपील को स्वीकार करते हुए उम्र कैद की सजा का फैसला पलट दिया था। हाईकोर्ट के 8 मार्च 2022 के इस फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को बदलने से इनकार करते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया। मामले के अनुसार पुलिस ने सोलन जिला के गांव खुरड में लज्या देवी के सेप्टिक टैंक से लाश बरामद की थी।
पुलिस ने शक के आधार पर परस राम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 241 के तहत मामला दर्ज किया था। अभियोजन पक्ष ने परस राम के खिलाफ अभियोग साबित करने के लिए 24 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। गवाहों के बयान के आधार पर विचारण अदालत ने परस राम को हत्या का दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए अपने निर्णय में कहा था कि अभियोजन पक्ष का अभियोग सांयोगिक साक्ष्य पर आधारित है, जबकि शीर्ष अदालत के निर्णय के अनुसार अभियोजन पक्ष सांयोगिक साक्ष्य को साबित करने में नाकाम रहा है। हाईकोर्ट के इस फैसले को बदलने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया और सरकार की अपील को खारिज कर दिया।