Cancer Survivor Story: 17 की उम्र में भयंकर कैंसर, डॉ. कह चुके थे I Am Sorry, इस बंदे ने 6 तरीकों से जीती जंग – on world cancer day bollywood guy pratik rawal share his cancer treatment story and 5 tips how to beat cancer


4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना है। कैंसर एक घातक और जानलेवा बीमारी है लेकिन इसका इलाज संभव है। सही समय पर लक्षणों की पहचान और निदान से कैंसर का सफल इलाज संभव है।

कैंसर का नाम सुनकर किसी की भी रूह कांप सकती है लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्होंने इस जानलेवा बीमारी का सामना किया है और इसे मात दी है। वास्तव में किसी भी बीमारी से लड़ाई में हिम्मत और इत्मीनान की बहुत जरूरत होती है। बेशक कैंसर का इलाज लंबा है और आपको हर तरह से कमजोर बना सकता है लेकिन अगर पॉजिटिव सोच के साथ हिम्मत से इसका मुकाबला किया जाए, तो आप सफल हो सकते हैं।

कैंसर को हराने वालों की लिस्ट में एक नाम श्री प्रतीक रावल का भी है, जिनका जन्म भावनगर, गुजरात मे हुआ था और अभी वे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक कामयाब कार्यकारी निर्माता हैं। चलिए जानते हैं उन्होंने किस तरह कैंसर से जंग जीती और उनकी कहानी से आपको क्या सीख मिल सकती है।

(फोटो साभार: istock and Instagram-pratikhrawal)

17 साल की उम्र में हो गया कैंसर

17-

17 साल की उम्र में प्रतीक अचानक बीमार हो गए और जांच में पाया गया कि उन्हें लिंफोब्लास्टिक लिंफोमा कैंसर (lymphoblastic lymphoma cancer) हुआ हैं। मुंबई के डॉक्टरों ने निदान देते हुए कहा कि वो सिर्फ कुछ महीने ही जीवित रह पाएंगे।

कई तरह के उपचार कराए

कई तरह के उपचार कराए

प्रतीक के माता-पिता अपने बेटे का जीवन बचाने की उम्मीद से अपने शहर अहमदाबाद लेकर गए, जहां उन्हें शुरुआती दिनों में आयुर्वेदिक उपचार दिया गया। उसके बाद अहमदाबाद के डॉ. पंकज शाह के मार्गदर्शन में प्रतीक ने ऍलोपॅथिक उपचार शुरू किया। अगले 3 सालों तक उन्हें कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी दी गई।

7 साल की बच्ची से मिला हौसला

7-

अस्पताल में कैंसर के उपचार के दौरान प्रतीक ने एक 7 साल की एक छोटी बच्ची को देखा, जो कैंसरग्रस्त थी और उसे असहनीय पीड़ा हो रही थी। इस दृश्य ने प्रतीक को अंदर तक हिला दिया। वे उस लड़की की पीड़ा को देख के रो पड़े थे और तभी उन्हें एहसास हुआ कि दुनिया में और भी लोग हैं, उससे ज्यादा दर्द और तकलीफ में हैं।

अपनों का साथ है जरूरी

अपनों का साथ है जरूरी

कैंसर हो या कोई भी बीमारी, मरीज को इलाज के दौरान मजबूत हौसले के साथ अपनों का साथ होना बहुत जरूरी है। प्रतीक के माता पिता उनके पीछे ऐसे चट्टान की तरह खड़े थे। महंगे कैंसर उपचार की वजह से उनका परिवार आर्थिक संकट में आ गया था। बाद में उन्होंने कैंसर को मात दी और एक नई ऊर्जा के साथ 1998 की शुरुआत में फिर से मुंबई लौट आए।

कैंसर से ऐसे हुए जल्दी रिकवर

कैंसर से ऐसे हुए जल्दी रिकवर

इलाज के दौरान और उसके बाद भी प्रतीक का भोजन बिल्कुल सात्विक रहता था। हमेशा घर का खाना, हरी सब्जियां और फल का सेवन करते थे। इससे उन्हें कमजोर शरीर को मजबूत बनाने में मदद मिली। प्रतीक का मानना है कि किसी भी बीमारी को हारने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ ध्यान, प्राणायाम, हंसना और निडर रहना जरूरी है।

लोगों को संदेश

लोगों को संदेश

प्रतीक कहते हैं कि सफलता, नाम, प्रसिद्धी, पैसा…. इन सब चीजों ने मुझे मानवीय मूल्यों और कृतज्ञता कभी नहीं सिखाई, जितना मैं कैंसर के इलाज के दौरान तीन सालों में सीखा। हमें एक ही बात समझनी चाहिए कि हम धरती पर सीमित समय के लिए हैं, तो हमें खुद को शक्तिशाली बनाना है और इससे पहले कि हमारे जीवन का पर्दा गिर जाए, जितना हो सके उतना लोगों की मदद कर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करें।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: