Balrampur:सर्वे के नाम पर दो करोड़ का गबन, कोर्ट के आदेश पर जल संसाधन विभाग के एसडीओ और इंजीनियर पर एफआईआर – Fir On Water Resources Department Sdo And Engineer On Embezzlement In Balrampur


सांकेतिक तस्वीर

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– फोटो : सोशल मीडिया

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छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में सर्वे के नाम पर दो करोड़ से अधिक के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इसके बाद जल संसाधन विभाग के एसडीओ और इंजीनियर पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। कार्रवाई सीजेएम कोर्ट के आदेश पर की गई है। ईई की जांच में अनियमितता मिली थी। इस पर अधिवक्ता डीके सोनी ने पुलिस को शिकायत दी। एफआईआर नहीं करने पर रामानुजगंज कोर्ट में परिवाद पेश किया था। इसी पर कोर्ट ने आदेश जारी किया है। 

जांच में फर्जी और गुणवत्ताहीन मिला कार्य

जानकारी के मुताबिक, जल संसाधन क्रमांक-2 रामानुजगंज की ओर से वित्तीय वर्ष 2021-22 में सर्वे के नाम पर 220.56 लाख का भुगतान किया गया था। यह सर्वे प्रस्तावित जल संसाधन परियोजनाओं के लिए करना बताया गया था। सूची में दिए गए कार्यों के कार्य स्थल का निरीक्षण कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग क्रमांक 2 रामानुजगंज ने किया। इससे पता चला कि कि साल 2021-22 के दौरान कराए गए सर्वेक्षण का कार्य फर्जी और गुणवत्ता विहीन है। 

एजेंसियों को कराया गया फर्जी भुगतान

यह भी सामने आया कि कार्यस्थल पर किसी भी तरह का कोई चिन्ह नहीं है। केवल अनुविभागीय अधिकारी एवं उप अभियंता ने कागजों में फर्जी तरीके से कार्य अंकित कर संबंधित एजेंसियों के नाम पर फर्जी भुगतान कराया है। है। फर्जी तरीके से सर्वे कर राशि आहरण करने के संबंध में कार्यालय कार्यपालन अभियंता ने प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग शिवनाथ भवन, रायपुर को 11 मई 2022 को पत्र लिखकर भुगतान किए गए शासकीय राशि की वसूली करने की अनुशंसा की थी।  

कोर्ट ने दिया एफआईआर का आदेश

जांच रिपोर्ट सहित अन्य दस्तावेजों के साथ अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता डीके सोनी ने थाना रामानुजगंज व पुलिस अधीक्षक बलरामपुर के सामने 21 जून 2022 को उप अभियंता सुजीत कुमार गुप्ता व अनुविभागीय अधिकारी राजेंद्र प्रसाद सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था। पुलिस के कार्रवाई नहीं करने पर रामानुजगंज सीजेएम कोर्ट में परिवाद पेश किया। सुनवाई करते हुए सीजेएम रामानुजगंज पंकज आलोक तिर्की ने 19 जनवरी 2023 को सात दिनों में एफआईआर दर्ज कर जांच कर अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। 



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