
सोलन के दाड़लाघाट में अदाणी समूह के खिलाफ नारेबाजी करते ट्रक ऑपरेटर।
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सीमेंट ढुलाई को लेकर चल रहे विवाद के बीच अदाणी समूह ने अपनी रणनीति बदल दी है। अब ट्रकों के बजाय सीमेंट को बड़े ट्रालों में पठानकोट डंप से बिलासपुर भेजा जा रहा है। पहले सीमेंट की आपूर्ति के लिए बाहरी राज्यों से अदाणी समूह गाडिय़ां भेज रहा था। ट्रक ऑपरेटर इन गाड़ियों को रोककर विरोध कर रहे थे। इससे सीमेंट की कमी हो गई थी।
अब नई रणनीति के तहत अदाणी समूह अपने विक्रेताओं के पास सीमेंट पहुंचा रहा है। बड़े ट्राले से सीमेंट की 700 से 800 बोरियां गोदामों तक पहुंच रही हैं। एक हफ्ते के भीतर ही बिलासपुर जिले में 400 टन सीमेंट पहुंचा है। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों बिलासपुर शहर में बाहरी राज्य से सीमेंट लेकर आ रहे एक ट्रक से बोरियां उतारकर फाड़ दी थीं।
ट्रक ऑपरेटर ओवरलोड ट्रकों को रोक रहे थे। पुलिस भी ओवरलोड ट्रकों का चालान कर रही थी। अब बड़े ट्रालों में एक साथ सप्लाई भेजने से सीमेंट की कमी पूरी हो रही है। दधोल में एसीसी सीमेंट विक्रेता पवन बरूर ने बताया कि एक हफ्ते से सीमेंट की सप्लाई मिल रही है। लोगों को मांग के अनुसार सीमेंट मुहैया करवाया जा रहा है।
49 दिन के सबसे बड़े विवाद को सुलझाने की औपचारिकता ही निभाती रही 51 दिन की सुक्खू सरकार, 20 हजार परिवारों को रोजी-रोटी के लाले
सूबे में सुक्खू सरकार को बने 51 दिन बीत गए पर सीमेंट ढुलाई की दरों को लेकर अभी तक 49 दिन के सबसे बड़े विवाद को सुलझाने में महज औपचारिकता ही निभाती रही है। उद्योग जगत से जुड़ा सूबे का यह सबसे बड़ा आंदोलन बन चुका है। जल्दबाजी व अनुभवहीनता की वजह से सरकार ने डीजल के रेट बढ़ा दिए और प्रति किलोमीटर रेट के विवाद के सुलझने में एक और अड़चन पैदा हो गई।
हालांकि, सरकार के कुछ प्रतिनिधियों ने विवाद सुलझाने के लिए बैंठकें कीं पर नतीजा सिफर ही रहा। ट्रक ऑपरेटरों ने खुद बिलासपुर में सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मुलाकात की तो उन्होंने 31 जनवरी को बात सुनने के लिए शिमला में बैठक बुला ली। लेकिन एन मौके पर श्रीनगर में बर्फ में फंसे होने की बात कहकर इस वार्ता को भी टाल दिया गया।
ट्रक ऑपरेटरों ने अब दो टूक कह दिया है कि सरकार का काम मध्यस्थता करना नहीं बल्कि समस्या का समाधान करना है। अब आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। सीमेंट विवाद की वजह से दाड़लाघाट और बरमाणा में 20 हजार परिवारों को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। सरकार सिर्फ मध्यस्थता की बात कहकर पल्ला झाड़ रही है, सुध लेने वाला कोई नहीं है।
4 फरवरी को प्रदेश भर में दो घंटे चक्का जाम
एसीसी सीमेंट फैक्ट्री बंद होने के 49 दिन बाद भी सीमेंट विवाद का समाधान न होने से ट्रक ऑपरेटरों के सब्र का बांध टूट रहा है। मंगलवार को ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स, ट्रांसपोर्ट महासंघ ने वर्चुअल बैठक कर निर्णय लिया कि 4 फरवरी को सुबह 11:00 से दोपहर 1:00 बजे तक पूरे प्रदेश में दो घंटे चक्का जाम करेंगे। ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स हिमाचल इकाई एवं बीडीटीएस के अध्यक्ष लेख राम वर्मा ने बताया कि एसीसी और अंबुजा सीमेंट फैक्ट्री के बंद होने से ऑपरेटरों और इस व्यवसाय से जुड़े हर व्यक्ति के घर में बच्चों की फीस, उनकी स्कूल की गाड़ियों का किराया देना भी मुश्किल हो गया है।
हालात इतने खराब हो गए हैं कि ट्रक ऑपरेटरों के अलावा इस व्यवसाय से जुड़े पेट्रोल पंप, टायर पंक्चर, स्पेयर पार्ट्स, होटल-ढाबे वालों के घरों में रोजी-रोटी पर बन आई है। लेख राम वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार मामला शांत करने की सिर्फ मध्यस्थता कर रही है। सरकार का काम मध्यस्थता करना नहीं, मामले का समाधान कर फैक्ट्री को खुलवाना है। इसमें अभी तक सरकार नाकाम रही है। अब ऑपरेटरों का सब्र टूट चुका है।
मंगलवार को आयोजित ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स, ट्रांसपोर्ट महासंघ के पदाधिकारियों ने वर्चुअल बैठक की। इस बैठक में महासंघ के अध्यक्ष नरेश गुप्ता, एडीएमके के पूर्व प्रधान बालक राम, रामकृष्ण शर्मा, सरदार नागर,सतीश गोगी और विजय शर्मा विशेष रूप में मौजूद रहे।
सुबह 11:00 से लेकर दोपहर 1:00 बजे तक होगा चक्का जाम
बैठक में तय हुआ कि अगर चार फरवरी सुबह तक सीमेंट फैक्ट्री के ताले नहीं खुलते हैं और किराया सही नहीं मिलता है तो सुबह 11:00 से दोपहर 1:00 बजे तक पूरे प्रदेश में चक्का जाम किया जाएगा। इस दिन से ही प्रदेश में बड़े आंदोलन का आगाज होगा, जो तब तक नहीं रुकेगा, जब तक सीमेंट विवाद नहीं सुलझ जाता।
दूसरी तरफ उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने ऑपरेटरों को आश्वासन दिया कि जल्द समस्या का समाधान किया जाएगा। सीएम के वापस आने पर बैठक होगी, जिसमें बीडीटीएस भी शामिल होगी।