
बरमाणा सीमेंट प्लांट में ट्रक(फाइल)
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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में एसीसी सीमेंट फैक्ट्री बरमाणा को बंद हुए 53 दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या का समाधान नहीं निकला है। राज्य सरकार या बीडीटीएस कार्यकारिणी की तरफ से कोई बड़ी कोशिश नजर नहीं आ रही है। वार्ताएं कर औपचारिकता पूरी की जा रही है। 53 दिन में बीडीटीएस को 37.10 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। ऑपरेटर बीडीटीएस पर लचीले रवैये का आरोप लगा रहे हैं। 18 दिन से बरमाणा में कोई रैली नहीं निकाली गई। हालात यह हो गए हैं कि अब ऑपरेटर बीडीटीएस के संस्थापक और पूर्व प्रधान रामदास ठाकुर को याद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दर्द बयां करते हुए लिख रहे हैं कि अगर आज रामदास ठाकुर होते तो ऑपरेटरों का इतना नुकसान नहीं होने देते। 11 दिसंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शपथ ली और 14 दिसंबर को अदाणी ने प्रदेश के दो बड़े सीमेंट उद्योगों पर ताला जड़ दिया। अदाणी के एक फैसले से प्रदेश के करीब 20 हजार परिवारों की रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। अंबुजा और एसीसी सीमेंट फैक्ट्री में कार्यरत ट्रक ऑपरेटर यूनियनों ने शुरू में खूब हो हल्ला किया, लेकिन 19 जनवरी को बिलासपुर में हुई दोनों यूनियनों की साझा रैली में जब केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी हुई तो उसके बाद ऑपरेटरों की जुबान पर ताले लग गए।
हालांकि, बीडीटीएस के पदाधिकारी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं से विवाद को सुलझाने के लिए मिलते रहे और उन्हें ज्ञापन सौंपते रहे। 28 जनवरी को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के बेटे की शादी के समारोह में बीडीटीएस प्रबंधन उनसे मिला था, वहीं सीएम सुक्खू से भी बात की थी। उसके बाद सीएम से बीडीटीएस की तीन बैठकें हुईं। दोनों यूनियनों ने मालभाड़े में भी कटौती की। बीते शुक्रवार को नए दाम सरकार के समक्ष भी रखे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मात्र वार्ताओं पर निर्भर यूनियन किस तरह से ऑपरेटरों की सबसे बड़ी समस्या का समाधान करेगी। बीडीटीएस ने मामले को सुलझाने के लिए किराये में प्रति किलोमीटर प्रति टन 1.21 रुपये की कटौती की है। अंबुजा यूनियन ने भी 38 पैसे कम किए हैं। लेकिन इसके बाद भी अभी तक यह तय नहीं है कि अदाणी समूह इस किराये पर उद्योगों के ताले खोलने को तैयार होगा या नहीं। फिलहाल सीएम ने बीडीटीएस से तीन दिन का समय मामले को सुलझाने के लिए लिया है। उसके बाद कार्यकारिणी का मामले पर क्या रुख होगा, वो ऑपरेटरों का भविष्य तय करेगा। दूसरी तरफ अदाणी समूह ने सरकार की स्टैंडिंग कमेटी को अपनी अन्य शर्तें भी दी हैं। सूत्रों के अनुसार मालभाड़ा 8 रुपये और अन्य शर्तें पूरी होने के बाद ही अदाणी समूह प्लांट शुरू करेगा।
ऑपरेटरों को गाड़ियों की किस्त, घर का खर्च चलाना मुश्किल
फैक्ट्री बंद होने के बाद ऑपरेटरों को गाड़ियों की मासिक किस्त निकालना गले की फांस बन गया है। हालात यह हैं कि इस माह की किस्त भी नहीं गई तो कई ऑपरेटर डिफाल्टर घोषित हो जाएंगे। इसके अलावा घर के खर्च, बच्चों की स्कूल फीस, अन्य खर्चों के लिए भी अब ऑपरेटरों के हाथ खड़े हो चुके हैं। अगर जल्द ही प्लांट शुरू नहीं हुआ तो बैंक ट्रकों को जब्त करना शुरू कर देंगे और ऑपरेटरों को ट्रकों के साथ गारंटी में रखी जमीनों से भी हाथ धोना होगा। यह लड़ाई बड़ी है और ऑपरेटरों को एक साथ आकर इसे अपने हक के लिए लड़ना होगा।- जीत राम गौतम, पूर्व प्रधान बीडीटीएस
पूरे मामले पर सरकार का रवैया ढीला है। अभी तक सरकार ने इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की। ऑपरेटरों की रोजी-रोटी पर संकट छाया है। सरकार को इस मामले पर अपना रुख कड़ा करना होगा ताकि ऑपरेटरों को और नुकसान न हो।– जगदीश चड्ढा, ट्रक ऑपरेटर
यह लड़ाई केवल मात्र अदाणी समूह के खिलाफ नहीं है। यह लड़ाई लचीली सत्ता के खिलाफ भी है। ऑपरेटरों के हकों की लड़ाई निर्णायक रूप से लड़ी जाएगी। ऑपरेटरों को एकजुट होकर एक साथ आने की जरूरत है। अदाणी को प्लांट शुरू करना होगा और वो भी बिना किसी शर्त के। तानाशाही और ऑपरेटरों के हितों की अनदेखी ज्यादा दिन तक नहीं की जा सकती है।– लेखराम वर्मा, अध्यक्ष बीडीटीएस
बीडीटीएस कार्यकारिणी ऑपरेटरों के हित को देखते हुए इस विवाद को शांत तरीके से सुलझाने का प्रयास कर रही है। सीएम के साथ हुईं बैठकों में मिले आश्वासन के बाद ही दो दिन का इंतजार किया जा रहा है। अगर आगामी बैठक में भी विवाद का हल करने में सरकार नाकाम होती है तो बीडीटीएस प्रबंधन अपने ऑपरेटरों के साथ निर्णायक संघर्ष पर उतरेगा। जितना किराया कम करना था, वो कम कर चुके हैं। अब न किराया कम होगा, न ही कोई अन्य शर्त मानी जाएगी। – प्रदीप ठाकुर, महासचिव बीडीटीएस