पाचन दुरुस्त कर स्किन चमकदार बनाती है कांजी, चटपटा है स्वाद, काली गाजर से होती है तैयार – News18 हिंदी


हाइलाइट्स

भारत में कांजी लाल गाजर, चुकंदर का इस्तेमाल कर भी बनाई जाती है.
फाइबर से भरपूर कांजी इम्यूनिटी बूस्ट करने में भी काफी मददगार है.

Swad ka Safarnama: कांजी एक ऐसा पेय पदार्थ है जो किसी के भी मुंह में पानी ला सकता है. इस पेय का बैंगनी रंग और चटपटा स्वाद अन्य पेय पदार्थों से अलग है. कांजी का सेवन पाचन सिस्टम को दुरुस्त रखता है. यह स्किन को भी चमकदार बनाती है. विशेष बात यह है कि जिस काली गाजर से कांजी बनाई जाती है, वह गाजर भारत में पैदा नहीं मानी जाती है, लेकिन कांजी शुद्ध रूप से भारत का पेय पदार्थ है. वैसे भारत में अन्य तरीकों से कांजी बनाने का इतिहास बेहद पुराना है.

आजकल चटपटी कांजी का दौर चल रहा है

भारत खासकर उत्तर भारत में आजकल कांजी का दौर चल रहा है. घरों की अनेकों बालकनी या छतों पर आपको कांजी के जार दिख जाएंगे, जहां सूरज की गर्मी से उसमें खमीर (Fermentation) उठाने की कवायद चल रही है. गर्मी से उठने वाली यही खमीर कांजी में स्वाद भरती है और उसे चटपटा और तीखा बनाती है. इसे आजकल चल रहे मौसम का लोकप्रिय पेय माना जाता है. इसे बनाने का तरीका बेहद आसान है. मर्तबान के पानी में काली गाजर को छील-धोकर उसके टुकड़े कर डाल दो. इसमें कूटी राई, लाल मिर्च और नमक डालकर बंद कर धूप में रख दो. तीन-चार दिन के बाद इसमें खमीर उठा जाएगा और स्वाद एकदम बदल जाएगा. खट्टी व तीखी ये कांजी काली गाजर के चलते बैंगनी रंग में बदल जाती है. गाजर भी गल जाएगी. एक सप्ताह तक इस चटपटी कांजी का आनंद लिया जा सकता है.

Kanji benefits

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पेट गैस, कब्ज, या मतली की समस्या में लाभकारी है कांजी.

यह कांजी लाल गाजर, चुकंदर से भी बनाई जा सकती है. यह कांजी तो वसंत के मौसम में बनती है, लेकिन इन सब्जियों के बिना बनी कांजी का मजा पूरे साल लिया जा सकता है. इसमें स्वाद को और बढ़ाने के लिए उसमें दाल के वड़े डाल दिए जाते हैं. यह कांजी पूरे भारतवर्ष में बनाई पी और खाई जाती है.

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काली गाजर व अन्य तरीकों से भी तैयार की जाती है

भारत में कांजी का इतिहास खासा रोचक है. कारण यह है कि कांजी तो काली गाजर की ही ज्यादा मशहूर है, लेकिन भारत में दूसरे तरीके से यह हजारों वर्षों से तैयार की जा रही है. दिलचस्प बात यह है कि शुरुआती दौर में भारत में कांजी को अन्य तरीके से बनाय जाता था और उसमें लाल गाजर आदि नहीं डाली जाती थी, जबकि लाल गाजर को भारत की देन माना जाता है. फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि काली गाजर अफगानिस्तान में सबसे पहले नवीं शताब्दी में तैयार की गई थी लेकिन वहां कांजी बनाने का कोई वर्णन नहीं है. विशेष बात यह भी है कि करीब एक हजार ईसा पूर्व भारत में लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में लाल गाजर की विशेषताओं का वर्णन है, लेकिन ग्रंथ में गाजर की कांजी के बजाय मूली और चावल की कांजी (काजिंक) बनाने की विधि बताई गई है.

इस ग्रंथ में अन्य प्रकार की एक और कांजी को ‘आरनाल’ कहा गया है. ग्रंथ के अनुसार कांजी शरीर के स्रोतों को शुद्ध करती है. यह स्वाद पैदा करती है और भूख को भी बढ़ाती है. इन तथ्यों से यह तो स्पष्ट है कि कांजी के रूप में लगातार बदलाव तो होता रहा है लेकिन इसे शरीर के लिए क्षुधावर्धक (Appetizer) जरूर माना गया.

प्रोबायोटिक ड्रिंक पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है

स्वाद के मसले में तो कांजी गजब है ही, गुणों में भी शानदार है. फूड एक्सपर्ट व होमशेफ सिम्मी बब्बर के अनुसार घरों में कांजी बनाने का चलन तो जारी है ही, अब तो यह बाजार में भी मिल जाती है. आजकल तो रेडीमेड कांजी भी आने लगी है. कांजी की उपयोगिता और इसका नाम लगातार प्रसिद्धि पा रहा है. खट्टी और तीखे स्वाद वाली कांजी एक प्रोबायोटिक (Probiotic) ड्रिंक है. असल में खमीर उठने से इसमें पॉजिटिव सूक्ष्मजीव पैदा हो जाते हैं, जिन्हें शरीर के लिए लाभकारी माना जाता है. यही प्रोबाइटिक सिस्टम शरीर के पूरे पाचन तंत्र को लगातार सुधारता है.

Kanji benefits

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कांजी मदद करती है.

अगर पेट गैस, कब्ज, या मतली की समस्या आ रही है तो कांजी से भरा ठंडा-ठंडा गिलास पी लें. तुरंत आराम मिलेगा. इतना ही नहीं भूख भी बढ़ जाएगी. चूंकि गाजर में फाइबर भी होता है, इसलिए पेट का सिस्टम और दुरुस्त हो जाता है. इसकी एक विशेषता यह है कि यह लिवर को भी साफ करती है. कांजी में पाए जाने वाले पॉजिटिव सूक्ष्मजीवी लिवर को इन्फेक्शन से बचाए रखते हैं. कांजी का सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है. चूंकि इसमें विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है जो शरीर को बीमारियों से बचाने में सहायता करता है.

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ब्लड को प्यूरिफाई करती है कांजी

फूड एक्सपर्ट के अनुसार यही विटामिन सी और कांजी में बड़ी संख्या में मौजूद एंटिऑक्सीडेंट एंथोसायनिन (बीमारियों से बचाने वाला बैंगनी रंग) शरीर की कोशिकाओं का क्षरण रोकते हैं. इसका लाभ यह रहता है कि शरीर की स्किन लगातार चमकदार बनी रहेगी. इसका एक लाभ यह भी रहेगा कि उम्र बढ़ने के संकते धीमा पड़ जाएंगे. कांजी की एक और विशेषता यह भी है कि यह ब्लड को प्यूरिफाई करती है, जिससे ब्लड सेल्स स्वस्थ्य रहते हैं. इसका परिणाम यह रहेगा कि दिल का हाल ठीक रहेगा. यह ब्लड शुगर को भी बढ़ने नहीं देती है. कांजी में मौजूद काली गाजर में कैरोटीनॉयड होता है, जो विटामिन ए का एक रूप है. यह विटामिन आंखों के लिए लाभकारी माना जाता है. यानी कांजी पीने से दृष्टि ठीक रहेगी. कांजी का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए. अधिक पी लेने पर लूजमोशन की समस्या पैदा हो सकती है. इसका ज्यादा सेवन उलटी की प्रवृत्ति पैदा कर सकता है.

Tags: Food, Lifestyle



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