
सांकेतिक तस्वीर।
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चंडीगढ़ शहर की वेटलिफ्टर वीरजीत कौर डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाई गईं हैं। गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में वीरजीत ने 55 किलो भारवर्ग में रजत पदक हासिल किया था। वीरजीत समेत राष्ट्रीय खेलों में शामिल दस खिलाड़ी डोप टेस्ट में फंसे हैं। इन खिलाड़ियों को स्पष्टीकरण देने का एक मौका मिल सकता है।
अगर खिलाड़ी फिर भी दोषी पाए गए तो इन पर 2 से 4 साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता है। वीरजीत कौर दोषी पाई गईं तो जीता गया पदक और प्रमाणपत्र मुकाबले में कांस्य पदक हासिल करने वाले खिलाड़ी को दे दिया जाएगा।
गुजरात में पिछले वर्ष 29 सितंबर से 12 अक्टूबर को आयोजित इन खेलों में नाडा की ओर से सैंपलिंग की गई थी। राष्ट्रीय डोप टेस्ट लैबोरेटरी की टेस्टिंग में दो वेटलिफ्टरों में से एक वीरजीत कौर पॉजिटिव पाई गईं। बता दें कि गुजरात राष्ट्रीय खेलों में चंडीगढ़ के दल ने तीन स्वर्ण सहित चार-चार रजत-कांस्य के साथ कुल 11 पदक जीते थे। इस प्रदर्शन की बदौलत चंडीगढ़ 19वें पायदान पर रहा था।
कोच बोले-एक साल पहले वीरजीत को कर दिया था सेंटर से बाहर
सेक्टर-42 खेल परिसर के वेटलिफ्टिंग कोच करणबीर सिंह भुट्टर का कहना है कि वीरजीत कौर को उन्होंने एक साल पहले सेक्टर-42 स्थित वेटलिफ्टिंग सेंटर से बाहर कर दिया था क्योंकि उन्हें पता चला था कि वह प्रतिबंधित चीजों को इस्तेमाल करती हैं। भुट्टर ने कहा कि वीरजीत चंडीगढ़ से जरूर खेलती हैं लेकिन पंजाब में प्रशिक्षण लेती हैं। उन्होंने कहा कि मेरा वीरजीत से पिछले एक साल से कोई लेनादेना नहीं। पिछले वर्ष 4 जनवरी के बाद से वह मेरे संपर्क में बिल्कुल नहीं रही।
शर्मनाक बात और कड़े नियम बनाएंगे
शहर के पूर्व साई के वेटलिफ्टिंग कोच वर्तमान में रेफरी और राष्ट्रीय चयन समिति के सदस्य केडीएस नागरा ने कहा कि शहर की खिलाड़ी का डोप में पॉजिटिव मिलना शर्मनाक बात है। भविष्य में प्रतिबंधति दवाई के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए और कड़े नियम बनाए जाएंगे।
चयन में सीओए का कोई रोल नहीं, फेडरेशन भेजता है नाम
इस मसले पर चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव एनएस ठाकुर का कहना है कि राष्ट्रीय खेलों में दल के चयन में चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन (सीओए) की कोई भूमिका नहीं है। हमें जो नाम पोर्टल पर फेडरेशन से मिलते हैं, उसे आगे बढ़ा देते हैं।