
लुधियाना के किला रायपुर खेल मेले में ढोल के साथ साथ डीजे और म्यूजिक पर डांस करती घोड़ी।
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ढोल के साथ साथ डीजे और म्यूजिक पर डांस करने वाली ढाई साल की घोड़ी नूर किला रायपुर खेल मेले में आकर्षण का केंद्र रही। पूरी तरह से सजाई गई घोड़ी नूरी को उसके दो मालिक लेकर किला रायपुर पहुंचे थे। जहां ढोल की थाप पर और म्यूजिक पर घोड़ी नूर खूब नाची। हर किसी का ध्यान घोड़ी नूर पर ही था। इस दौरान वहां उसे कई लोगों ने इनाम भी दिए।
किला रायपुर के मेले में पहुंचे नूर के ट्रेनर साहिल और रमन ने बताया कि उनके पास करीब 15 घोड़ियां हैं, लेकिन नूर अकेले ही ऐसी घोड़ी है जो ढोल की थाप पर भांगड़ा करती है। उन्होंने कहा कि 23 महीने की उम्र में नूर उनके पास आई थी। तीन महीने की ट्रेनिंग के दौरान वह कई जगहों पर जा चुकी है।
नूर जहां ढोल की थाप पर डांस करती है वहीं डीजे, हदर, धमाल, माथा टेकना जैसे करतब दिखा कर मन मोह लेती है। साहिल व रमन ने बताया कि ये वह लुधियाना बस स्टैंड के पास से आए है और नूरी पहली बार किला रायपुर मेले में आई है।
नूर हिमाचल, चंडीगढ़, जालंधर, मंसूरा, संगरूर में टूर्नामेंट में भाग ले चुकी है। संगरूर में हुए मुकाबले में रेवा चाल में दूसरा स्थान हासिल किया था।
बुजुर्गों की रेस में 80 से 90 साल की उम्र के बुजुर्गों ने दौड़ लगा सभी को किया हैरान
किला रायपुर खेल मेले में इस बार बुजुर्गों की रेस ने भी सभी को हैरान कर दिया। सौ मीटर की इस दौड़ में 80 से 90 साल के बुजुर्ग भी दौड़े। बुजुर्गों को दौड़ते देख सभी लोग हैरान हो गए। सौ मीटर की इस दौड़ में बरनाला के धनौला से आए खज्जू राम (85) ने जीत हासिल की और पहला स्थान पाया। वहीं 65 से 70 साल के उम्र के बुजुर्गों की रेस में होशियारपुर के सुरिंदरपाल सिंह ने पहला स्थान हासिल किया। बुजुर्गो ने बताया कि वह सादा खान खाते है और रोजाना पांच से छह किलोमीटर की दौड़ लगाते है, ताकि उनका शरीर तंदरुस्त रहे और वह दौड़ते रहे।
खज्जू राम ने बताया कि वह 1955 में रेसों में दौड़ लगा रहा है। वह कई इनाम जीत चुका है। वहीं लड़कियों की 15 सौ मीटर दौड़ में रेनू रानी संगरुर ने पहला, मंदीप कौर बठिंडा ने दूसरा, रमनजीत कौर संगरुर ने तीसरा स्थान हासिल किया। लड़कों की दौड़ में वरिंदर सिंह डेहलों ने पहला, जगदेव सिंह जालंधर ने दूसरा और संगरुर के प्रभजोत सिंह ने भी तीसरा स्थान हासिल किया। इन विजेताओ को पांच हजार, तीन हजार और दो हजार रुपये का नकद इनाम दिया।
लुधियाना में मिनी ओलंपिक के नाम से मशहूर किला रायपुर खेले मेले का शुक्रवार को शानदार तरीके से आगाज हुआ। चार साल बाद शुरू हुए खेल मेले में जहां लोगों के मन में खुशी थी वहीं एनआरआई तो पहुंचे ही साथ ही साथ विदेशी मेहमान भी यहां पहुंचे। विदेशी मेहमान किला रायपुर की शान कहे जाने वाली बैल दौड़ देखने के लिए पहुंचे थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि बैलदौड़ की इजाजत नहीं है।
वह सारा दिन बैठ बैल दौड़ का ही इंतजार करते रहे। देर शाम उन्हें वहां सेलौटना पड़ा। बाकी विदेशी मेहमानों ने खेल मेले की शुरुआत के दौरान हुए खेलों का खूब आनंद लिया। वह अपने मोबाइल फोन में हर पल को कैद करने में लगे हुए थे, ताकि भारत दौरे के दौरान वह यादें समेट कर ले जा सके।
दुनिया भ्रमण पर निकले साऊथ कोरिया के डुई ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया के जरिये किला रायपुर के खेल मेले का पता चला था। वह इस खेल मेले की पूरी हिस्ट्री पढ़ने के बाद इसे देखने की इच्छा जताई। जालंधर में उनका एक जानकार था। जिससे बात करने के बाद वह कुछ दिन पहले ही जालंधर पहुंचे थे।
जिसके बाद उन्होंने वहां से किला रायपुर का पता कराया और खेल देखने पहुंचे। डुई ने कहा कि उन्हें बैलदौड़ का पता चला था, लेकिन बैलदौड़ नहीं हुई। जिस कारण थोड़े मायूस है, लेकिन बाकी खेल मेले का काफी आनंद लिया है। उन्होंने कहा कि वह इस खेल मेले के हर पल को अपने कैमरों में कैद कर रहे है ताकि भारत का दिल कहे जाने वाले पंजाब के सभ्याचार को अपने साथ ले जा सके।
फ्रांस से आई 67 वर्षीय कैथरीन बैल ने बताया कि वह अक्सर भारत आती रहती है और पंजाब में भी पहले कई बार आ चुकी है। मगर इस बार वह फ्रांस से खास तौर पर किला रायपुर ओलंपिक गेम को देखने के लिए आई है। पंजाब में सरसों का साग व मक्की की रोटी उसे बहुत पसंद है। डेनमार्क से पहुंची एमी ने बताया कि वह भारत आई हुई थी।
यहां आकर उन्हें किला रायपुर मिनी ओलंपिक के बारे में पता चला तो वह अपने साथियों के साथ देखने पहुंची थी। उन्हें बैलदौड़ के बारे में पता चला था। वह इसे खासकर देखना चाहती थी, लेकिन पता चला कि बैलदौड़ नहीं होगी तो थोड़ी मायूस हुई है। बाकी वह हर पल को कैद करने में जुटी है, ताकि वहां जाकर अपने परिवार और साथियों को सभ्याचार के बारे में पता सके।